ये एक छोटी सी कहानी है उम्मीद है के आप को पसंद आएगी....
मेरी उम्र तब लगभग ७-८ साल रही होगी, जब एक दिन मैंने अपने पापा को कमरे की बत्ती बुझाकर ,अँधेरे कमरे में, बिस्तर पर लेटकर चुपचाप आंसू बहाते देखा था। मैं बहुत डर गया था। मेरी समझ में उस वक़्त कुछ नहीं आया।
एक बार फिर मेरे सामने यही नज़ारा आया ,जब मैं १५ साल का था। मैंने पापा से रोने की वजह पूछी। बोले -"तुम नहीं समझोगे"।
आज ४५ साल बाद मैं अपने कमरे में, अँधेरे में बिस्तर पर लेता आंसू बहा रहा हूँ। मेरा ४-५ साल का पोता पास आकर अपनी तोतली आवाज़ में पूछता है, "दादा क्यूँ रो रहे हो?" मैंने कहा, "तुम नहीं समझोगे।"