Thursday, June 24, 2010

तन्हा



शाम हो रही है

सूरज

अपनी सारी लालिमा बिखेरता हुआ

रात के आगोश में

छुपने जा रहा है

धूल उड़ाती

गायों का झुण्ड लौट रहा है

आकाश में परिंदे

कतार बनाये हुए

वापस आ रहे हैं

पेड़ की उन शाखों पर

जिन पर उनका आशियाना है

ये परिंदे आयेंगे

और अपने अपने घोंसलों में सो जायेंगे

शहर की भीड़ में

अकेला खड़ा हूँ

सोच रहा हूँ

शाम हो रही है ,

मैं कहाँ जाऊंगा?