Saturday, July 31, 2010

मैं ऐसा क्यों हूँ


क्यों खुश हो जाता हूँ मैं


तुम्हारी ख़ुशी देख कर


क्यों हो जाता हूँ मैं हताश


तुम्हें उदास देखकर


चहक सा उठता हूँ मैं क्यों


जब मिलने की बारी आती है


पर क्यों मिलने के बाद घंटो


नींद नहीं आती है


आँखें बंद करने से क्यों


याद तुम्हारी आती है


पर जब खुलती हैं तब


फिर क्यों तू सामने आती है


आंसू तेरे टपकते हैं तब


क्यों मैं सिसकता हूँ


ज़रा सी तू हंसती है तब


क्यों मैं निखरता हूँ


जब भी देखता हूँ तुम्हे


बस यही सोचता हूँ


पूछूं तुमसे या दिल में रखूं ये बात


सुन ज़रा बस इतना बता


मैं ऐसा क्यों हूँ!


मैं ऐसा क्यों हूँ!.........


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