क्यों खुश हो जाता हूँ मैं
तुम्हारी ख़ुशी देख कर
क्यों हो जाता हूँ मैं हताश
तुम्हें उदास देखकर
चहक सा उठता हूँ मैं क्यों
जब मिलने की बारी आती है
पर क्यों मिलने के बाद घंटो
नींद नहीं आती है
आँखें बंद करने से क्यों
याद तुम्हारी आती है
पर जब खुलती हैं तब
फिर क्यों तू सामने आती है
आंसू तेरे टपकते हैं तब
क्यों मैं सिसकता हूँ
ज़रा सी तू हंसती है तब
क्यों मैं निखरता हूँ
जब भी देखता हूँ तुम्हे
बस यही सोचता हूँ
पूछूं तुमसे या दिल में रखूं ये बात
सुन ज़रा बस इतना बता
मैं ऐसा क्यों हूँ!
मैं ऐसा क्यों हूँ!.........
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