देर से एक नासमझ बच्चा
एक खिलौने के टूट जाने पर
इस तरह से उदास बैठा है
जैसे मय्यत करीब रखी हो
और मरने के बाद हर-हर बात
मरने वाले की याद आती हो,
जाने क्या क्या ज़रा तव्क्कुफ़ से
सोच लेता है और रोता है
लेकिन इतनी खबर कहाँ उसको
ज़िन्दगी के अजीब हाथों में
ये भी मिटटी का एक खिलौना है।