Friday, July 16, 2010

दुनिया



निदा फाजली

जितनी बुरी कही जाती है उतनी बुरी नहीं है दुनिया


बच्चों के स्कूल में शायद तुमसे मिली नहीं है दुनिया



चार घरों के एक मोहल्ले के बाहर भी है आबादी


जैसी तुम्हे दिखाई दी है , सब की वही नहीं है दुनिया



घर में ही मत उसे सजाओ, इधर-उधर भी ले के जाओ


यूँ लगता है जैसे तुमसे अब तक खुली नहीं है दुनिया



भाग रही है गेंद के पीछे, जाग रही है चाँद के नीचे


शोर भरे नारों से अब तक घबरायी नहीं है दुनिया !!!