Tuesday, April 12, 2011

कब मिटेगा?

बीते दिनों आज़ाद हिन्दुस्तान में भ्रष्टाचार के विरुद्ध जो मुहिम छिड़ीवह काबिले तारीफ हैशायद आज़ादी के बाद छेड़ी गयी यह पहली सब से बड़ी मुहिम थी जिसमे पूरे हिन्दुस्तान ने हिस्सा लिया . माननीय अन्ना हजारे को पूरे हिन्दुस्तान से जो समर्थन मिला, उसकी कल्पना तो शायद उन्हें भी नहीं होगीहमारे बरेली में भी उनके समर्थन में विभिन्न राजनैतिक, सामाजिक और शैक्षिक संगठनों ने जुलूस निकलेआनंद मठ के महंत भी इस मुहिम में शामिल हुएशहर के डॉक्टर, इंजिनियर , शिक्षक, वकील और छात्र भी शामिल हुए
अगले दिन शाम को एक दोस्त मिले, मुस्कुराते हुए बोले-"अरे भाई! जुलूस में तो आप भी आगे-आगे दिख रहे थेकैसा रहा?" हमने कहा-"बहुत बढ़िया।" वह बोले-"भ्रष्टाचार की मुहिम में सब शामिल तो हो गए, लेकिन जब खुद भ्रष्ट हैं तो भ्रष्टाचार ख़त्म कैसे होगा? एक डॉक्टर साहब भी हाथ उठा उठा कर खूब नारे लगा रहे थे, उनका एक किस्सा सुनाता हूँ।" सुनाने लगे-"मेरी फूफी को गर्दन में कुछ प्रॉब्लम हो गयी थीकोई नस वगैरह दब गयी थीउनको लेकर डॉक्टर साहब को दिखाने गएडॉक्टर साहब ने पर्चे पर - सौ रूपये की दवा लिख दी१५०-२०० रूपये फीस के ले लिएदो दिन बाद बोले-अब आपका दर्द ठीक है, जाइये और जो दवाएं बची हैं वह यहाँ जमा कर देंवो बेचारी दवाएं- पेन किलर जमा करके घर चली आयीं, करती भी क्या? जब उन डॉक्टर साहब को भी मुहिम में शामिल देखा तो हंसी गयी।" आगे सुनाने लगे-" एक और वाकया तो सुबह ही हो गयाअपने पड़ोस के एक साथी की ऍम.एस.सी की डिग्री लेने उसके साथ विश्व विद्यालय गयाडिग्री का फॉर्म जमा किये हुये१०-१२ दिन हो चुके थे लेकिन डिग्री नहीं मिलीएक क्लेर्क के पास पहुंचे और डिग्री के बारे में पूछाकहने लगे-'तीन सौ रूपये दो तो अभी मिल जाएगी वरना इंतज़ार करो, १५-२० दिन में घर पहुँच जाएगी।' मैंने उन साहब से कहा-'भाई साहब! आप वही हैं , जो कल शाम जुलूस में भ्रष्टाचार विरोधी नारे लगा रहे थेआज ही सब कुछ भूल कर रिश्वत मांगने लगे।' बड़ी बेशर्मी से हँसे और कहने लगे-'अरे यह सब तो चलता ही हैअगर पैसा लेना छोड़ दिया तो दुनिया ही छोडनी पड़ जाएगी बिना इसके काम कहाँ चलता है।'
दोस्त के ये दो किस्से सुन कर मैं सोच में पड़ गया कब मिटेगा भ्रष्टाचार

Thursday, April 7, 2011

हेलीकाप्टर शाट बनाम पल्लू स्कूप


वर्ल्ड कप शुरू होने से पहले पेप्सी ने धोनी और दिलशान जैसे खिलाड़ियों को लेकर अपना विज्ञापन बनाया था । धोनी के विज्ञापन में 'हेलीकाप्टर शाट' और दिलशान का 'पल्लू स्कूप' जो बाद में 'दिल स्कूप' हो गया, लोगों के सर चढ़ कर बोलने लगा। उसे देख कर यही दुआ निकलती थी कि ऐसे ही हेलीकाप्टर शाट मैदान पर भी मारना। शुरू के मैचों में धोनी का बल्ला नहीं चल रहा था और दिलशान का बल्ला दौड़ रहा था। 'पल्लू स्कूप' धोनी के 'हेलीकाप्टर शाट' पर भारी पड़ रहा था। कभी कभी ऐसा लगता था की ये विश्व कप भी हमसे नज़रें चुराकर न निकल जाये। लेकिन कुर्बान जाइये टीम इंडिया पर, जिसने सचिन के लिए इसे जीत कर ही दम लिया। यह एक ऐसे सपने का हकीकत में बदलना था जिसे क्रिकेट के मसीहा ने देखा था। सचिन और क्रिकेट एक दूसरे के पर्यायवाची हैं। सचिन की आँखों का ये सपना हर एक भारतवासी की आँखों का सपना बन गया था और हर एक उसके पूरा होने के लिए उतना ही उतावला था जितना कि सचिन।
सचिन के सम्मान में विश्व कप खुद उनके घर मुंबई पहुँच गया, जैसे कह रहा हो- "आओ शहंशाह! मैं आपके लिए ही यहाँ आया हूँ, मुझे अपने हाथों में उठा लो। अब तुम्हारा बरसों का इंतज़ार ख़त्म हुआ। तुम्हारी आँखों में मेरे लिए बेचैनी मुझसे अब नहीं देखी जाती।" इतने दिनों से एक अरब इक्कीस करोड़ क्रिकेट प्रेमियों के दिल में जो तरंगें, जो उमंगें हिलोरें ले रहीं थीं, वो आखिरकार धोनी के हेलीकाप्टर शाट पर ख़त्म हो ही गयी। और टीम इंडिया ने इतिहास रच दिया।
जया हे! जया हे! जया हे!
जया जया जया जया हे!



Thursday, March 31, 2011

संवेदनशून्य


बीते दिनों की बात है मेरे घर से अगली गली में रहने वाले एक बुज़ुर्ग का इन्तेकाल हो गया। पाँचों वक़्त की नमाज़ के पाबंद और बा-शरे इन्सान थेमैंने तो उन्हें कभी किसी से लड़ते नहीं देखालेकिन थे बड़े दबंगकिसी की गलत बात को मानने वाले और हक बात कहने वालेजब उनके विसाल की खबर सुनी तो यकायक यकीन ही नहीं हुआपता चला की असर और मगरिब के दरमियाँ उनकी रूह कफसे उन्सरी से परवाज़ कर गयीईशा की नमाज़ के बाद मेरे साथ गली के - लोग उनके घर पहुंचे . वहां काफी लोग मौजूद थे. उनके बड़े लड़के के पास खड़े हम उसे तसल्ली दे ही रहे थे कि हमसे कुछ दूरी पर उनके एक रिश्तेदार की मोटर साइकिल आकर रुकीमोबाइल पर ज़ोरदार तरीके से बात करते हुए आये. पीछे से बुर्का पहने एक मोहतरमा उतरींचेहरा खुला हुआ था. मेरी समझ में नहीं आता कि जब चेहरा खोलना ही है तो बुर्का पहनने की ज़रूरत ही क्या हैखैर, मोटर साइकिल से उतरीं और बेहद ही बेहूदा अंदाज़ में मुस्कुराती हुई उनके बेटे को सलाम करती हुई आगे बढ़ गयींफिर घर के दरवाज़े पर पहुँच कर पर्दा हटा कर अन्दर मौजूद औरतों पर एक नज़र डाली, जोकि पूरे घर में दरवाज़े तक भरी हुई थींदो-एक को देखकर जो ज़हरीली ख़ुशी उनके चेहरे पर फैली उसे देखकर तो मैं हैरान रह गयाजैसे उनकी ऑंखें कह रही हों-"अरे! तुम भी मौजूद हो यहाँ, फिर तो मज़ा गयाअब तो खूब बातें होंगी। " ऐसा लगा ही नहीं जैसे किसी मौत के घर में दाखिल हो रही होंयह लग रहा था जैसे किसी प्रोग्राम में तशरीफ़ लायी हैं. इसके बाद मैं वहां से चला तो आया, पर सारे रास्ते यही सोचता रहा कि आज आदमी ही नहीं औरतें भी उतनी ही संवेदन शून्य हो गयी हैं

Wednesday, March 30, 2011

कुछ पढ़ा था

बीते दिनों ट्रेन से कही जाते वक़्त रेलवे स्टेशन से एक पत्रिका खरीदी। उसमे 'नवांकुर' के नाम से पांच लघु कथाएं थी। जिनमे से २ बहुत अच्छी लगी। वह आपके सामने रख रहा हूँ.........

१-- "बनवारी की बिटिया को जॉब मिल गया है । गाँव में ये समाचार सबके मुंह पर है। '२५-३० हज़ार प्रति माह कमाती है' -गाँव की औरतें कहा करती थी। एक अच्छे होटल में उसकी ड्यूटी भी कम टाइम की थी और वेतन भी अच्छा था । ऐसा वेतन कि उसने अपने देहाती माँ-बाप को शहरी बना दिया था। कुछ दिन बाद होटल की लड़कियों को पुलिस रेड में गिरफ्तार किया गया। उनमे बनवारी की बिटिया भी थी। खबर पाकर बनवारी भी थाने पहुंचा और पूछा -"मेरी बिटिया को क्यों गिरफ्तार किया गया?''
थानेदार ने कुछ आपत्तिजनक तस्वीरें बनवारी के सामने पटकते हुए कहा -''तुम्हारी बिटिया की इस करतूत की वजह से।'' वह चुप रह गया। अब गाँव में सब कहते हैं-''तो ये था इतना ऊंचा जॉब.''


२-- गंगाराम कि फसलें सूखती जा रही थी । उसके साथ सभी किसानों ने ईश्वर से प्रार्थना की -''हे प्रभु! हमारी फसलें सूखती जा रही हैं , बरसात करा दे तो बात बन जाये।'' ईश्वर ने उनकी नहीं सुनी। बरसात नहीं हुई । सभी ने पैसे खर्च करके सिंचाई करवाई । फसलें तैयार हुईं और काट कर खलिहानों में पहुंचाई गयीं। सबका अनाज खलिहानों में ही पड़ा था। अब क्या था बरसात हुई-घनघोर और मूसलाधार।

Monday, March 14, 2011

प्रदूषण


प्रदूषण शब्द बना है। जीवन के लिए हानिकारक असामान्य प्राकृतिक अवस्था या परिस्थिति प्रदूषण कहलाता है। प्रदूषण कई तरह का होता है। उदहारण के लिए जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण। मानव द्वारा प्राकृतिक संसाधनों का अनुचित दोहन प्रदूषण का मुख्य कारण है। द्रुत गति से आधुनिकीकरण प्रदूषण को बढावा दे रहा हैजब जहरीले पदार्थ, झीलों, झरनों, नदियों, सागरों तथा अन्य जलाशयों में जाते हैं तो या तो घुल जाते हैं या तैरते रहते हैं या नीचे तलहटी में बैठ जाते हैं। इससे पानी प्रदूषित हो जाता है, उसकी गुणता घट जाती है, जलीय पर्यावरण को प्रभावित करती है। प्रदूषक नीचे भूतल में जाकर भी जल को प्रदूषित कर देते हैं।शोर एक अनचाही ध्वनि है। जो ध्वनि कुछ को अच्छी लगती है वही दूसरों को नापसन्द हो सकती है। यह विभिन्न घटकों पर आधारित होती है। प्राकृतिक वातावरण हवा, ज्वालामुखी, समुद्री जानवरों, पक्षियों की स्वीकार युक्त आवाजों से भरा होता है। मनुष्य द्वारा निर्मित ध्वनियों में मषीन, कारें, रेलगाड़ियाँ, हवाई जहाज, पटाखे, विस्फोटक आदि शामिल हैं। जो कि ज्यादा विवादित हैं। दोनों तरह के ध्वनि प्रदूषण, नींद, सुनना, संवाद यहाँ तक शारीरिक तथा मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं।
प्रदूषण की एक परिभाषा यह भी हो सकती है कि ''पर्यावरण प्रदूषण उस स्थिति को कहते हैं जब मानव द्वारा पर्यावरण में अवांछित तत्वों एवं ऊर्जा का उस सीमा तक संग्रहण हो जो कि पारिस्थितिकी तंत्र द्वारा आत्मसात किये जा सकें।'' वायु में हानिकारक पदार्थों को छोड़ने से वायु प्रदूषित हो जाती है। यह स्वास्थ्य समस्या पैदा करती है तथा पर्यावरण एवं सम्पत्ति को नुकसान पहुँचाती है। इससे ओजोन पर्त में बदलाव आया है जिससे मौसम में परिवर्तन हो गया है।