Monday, March 14, 2011

प्रदूषण


प्रदूषण शब्द बना है। जीवन के लिए हानिकारक असामान्य प्राकृतिक अवस्था या परिस्थिति प्रदूषण कहलाता है। प्रदूषण कई तरह का होता है। उदहारण के लिए जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण। मानव द्वारा प्राकृतिक संसाधनों का अनुचित दोहन प्रदूषण का मुख्य कारण है। द्रुत गति से आधुनिकीकरण प्रदूषण को बढावा दे रहा हैजब जहरीले पदार्थ, झीलों, झरनों, नदियों, सागरों तथा अन्य जलाशयों में जाते हैं तो या तो घुल जाते हैं या तैरते रहते हैं या नीचे तलहटी में बैठ जाते हैं। इससे पानी प्रदूषित हो जाता है, उसकी गुणता घट जाती है, जलीय पर्यावरण को प्रभावित करती है। प्रदूषक नीचे भूतल में जाकर भी जल को प्रदूषित कर देते हैं।शोर एक अनचाही ध्वनि है। जो ध्वनि कुछ को अच्छी लगती है वही दूसरों को नापसन्द हो सकती है। यह विभिन्न घटकों पर आधारित होती है। प्राकृतिक वातावरण हवा, ज्वालामुखी, समुद्री जानवरों, पक्षियों की स्वीकार युक्त आवाजों से भरा होता है। मनुष्य द्वारा निर्मित ध्वनियों में मषीन, कारें, रेलगाड़ियाँ, हवाई जहाज, पटाखे, विस्फोटक आदि शामिल हैं। जो कि ज्यादा विवादित हैं। दोनों तरह के ध्वनि प्रदूषण, नींद, सुनना, संवाद यहाँ तक शारीरिक तथा मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं।
प्रदूषण की एक परिभाषा यह भी हो सकती है कि ''पर्यावरण प्रदूषण उस स्थिति को कहते हैं जब मानव द्वारा पर्यावरण में अवांछित तत्वों एवं ऊर्जा का उस सीमा तक संग्रहण हो जो कि पारिस्थितिकी तंत्र द्वारा आत्मसात किये जा सकें।'' वायु में हानिकारक पदार्थों को छोड़ने से वायु प्रदूषित हो जाती है। यह स्वास्थ्य समस्या पैदा करती है तथा पर्यावरण एवं सम्पत्ति को नुकसान पहुँचाती है। इससे ओजोन पर्त में बदलाव आया है जिससे मौसम में परिवर्तन हो गया है।