Monday, June 28, 2010

याद



ये कविता मेरी लिखी पहली कविताओं में से एक है। जब मैंने लिखना शुरू ही किया था। सिर्फ आपके लिए....


खामोश है आवाज़ मगर

धड़कन कुछ बोल रही है

हौले हौले सोच मेरी

यादों के पट खोल रही है

घनी धूप में छत पर आना

होंठ दबा के ज़रा मुस्काना

आँचल में वह तेरा लजाना

झील सी आँखों का मासूम इशारा

चंचल दिल का था वह सहारा


वक़्त ने ऐसी करवट बदली

ऐसी घुली वो चाँद की डली

जा के सागर ही से मिली

रह गए हम तनहा यहाँ।