बीते दिनों आज़ाद हिन्दुस्तान में भ्रष्टाचार के विरुद्ध जो मुहिम छिड़ी। वह काबिले तारीफ है। शायद आज़ादी के बाद छेड़ी गयी यह पहली सब से बड़ी मुहिम थी जिसमे पूरे हिन्दुस्तान ने हिस्सा लिया . माननीय अन्ना हजारे को पूरे हिन्दुस्तान से जो समर्थन मिला, उसकी कल्पना तो शायद उन्हें भी नहीं होगी। हमारे बरेली में भी उनके समर्थन में विभिन्न राजनैतिक, सामाजिक और शैक्षिक संगठनों ने जुलूस निकले। आनंद मठ के महंत भी इस मुहिम में शामिल हुए। शहर के डॉक्टर, इंजिनियर , शिक्षक, वकील और छात्र भी शामिल हुए।
अगले दिन शाम को एक दोस्त मिले, मुस्कुराते हुए बोले-"अरे भाई! जुलूस में तो आप भी आगे-आगे दिख रहे थे। कैसा रहा?" हमने कहा-"बहुत बढ़िया।" वह बोले-"भ्रष्टाचार की मुहिम में सब शामिल तो हो गए, लेकिन जब खुद भ्रष्ट हैं तो भ्रष्टाचार ख़त्म कैसे होगा? एक डॉक्टर साहब भी हाथ उठा उठा कर खूब नारे लगा रहे थे, उनका एक किस्सा सुनाता हूँ।" सुनाने लगे-"मेरी फूफी को गर्दन में कुछ प्रॉब्लम हो गयी थी। कोई नस वगैरह दब गयी थी। उनको लेकर डॉक्टर साहब को दिखाने गए। डॉक्टर साहब ने पर्चे पर ७-८ सौ रूपये की दवा लिख दी। १५०-२०० रूपये फीस के ले लिए। दो दिन बाद बोले-अब आपका दर्द ठीक है, जाइये और जो दवाएं बची हैं वह यहाँ जमा कर दें । वो बेचारी दवाएं- पेन किलर जमा करके घर चली आयीं, करती भी क्या? जब उन डॉक्टर साहब को भी मुहिम में शामिल देखा तो हंसी आ गयी।" आगे सुनाने लगे-" एक और वाकया तो आज सुबह ही हो गया। अपने पड़ोस के एक साथी की ऍम.एस.सी की डिग्री लेने उसके साथ विश्व विद्यालय गया। डिग्री का फॉर्म जमा किये हुये१०-१२ दिन हो चुके थे लेकिन डिग्री नहीं मिली। एक क्लेर्क के पास पहुंचे और डिग्री के बारे में पूछा। कहने लगे-'तीन सौ रूपये दो तो अभी मिल जाएगी वरना इंतज़ार करो, १५-२० दिन में घर पहुँच जाएगी।' मैंने उन साहब से कहा-'भाई साहब! आप वही हैं न, जो कल शाम जुलूस में भ्रष्टाचार विरोधी नारे लगा रहे थे। आज ही सब कुछ भूल कर रिश्वत मांगने लगे।' बड़ी बेशर्मी से हँसे और कहने लगे-'अरे यह सब तो चलता ही है। अगर पैसा लेना छोड़ दिया तो दुनिया ही छोडनी पड़ जाएगी । बिना इसके काम कहाँ चलता है।'
दोस्त के ये दो किस्से सुन कर मैं सोच में पड़ गया कब मिटेगा भ्रष्टाचार।
Tuesday, April 12, 2011
Thursday, April 7, 2011
हेलीकाप्टर शाट बनाम पल्लू स्कूप
वर्ल्ड कप शुरू होने से पहले पेप्सी ने धोनी और दिलशान जैसे खिलाड़ियों को लेकर अपना विज्ञापन बनाया था । धोनी के विज्ञापन में 'हेलीकाप्टर शाट' और दिलशान का 'पल्लू स्कूप' जो बाद में 'दिल स्कूप' हो गया, लोगों के सर चढ़ कर बोलने लगा। उसे देख कर यही दुआ निकलती थी कि ऐसे ही हेलीकाप्टर शाट मैदान पर भी मारना। शुरू के मैचों में धोनी का बल्ला नहीं चल रहा था और दिलशान का बल्ला दौड़ रहा था। 'पल्लू स्कूप' धोनी के 'हेलीकाप्टर शाट' पर भारी पड़ रहा था। कभी कभी ऐसा लगता था की ये विश्व कप भी हमसे नज़रें चुराकर न निकल जाये। लेकिन कुर्बान जाइये टीम इंडिया पर, जिसने सचिन के लिए इसे जीत कर ही दम लिया। यह एक ऐसे सपने का हकीकत में बदलना था जिसे क्रिकेट के मसीहा ने देखा था। सचिन और क्रिकेट एक दूसरे के पर्यायवाची हैं। सचिन की आँखों का ये सपना हर एक भारतवासी की आँखों का सपना बन गया था और हर एक उसके पूरा होने के लिए उतना ही उतावला था जितना कि सचिन।
सचिन के सम्मान में विश्व कप खुद उनके घर मुंबई पहुँच गया, जैसे कह रहा हो- "आओ शहंशाह! मैं आपके लिए ही यहाँ आया हूँ, मुझे अपने हाथों में उठा लो। अब तुम्हारा बरसों का इंतज़ार ख़त्म हुआ। तुम्हारी आँखों में मेरे लिए बेचैनी मुझसे अब नहीं देखी जाती।" इतने दिनों से एक अरब इक्कीस करोड़ क्रिकेट प्रेमियों के दिल में जो तरंगें, जो उमंगें हिलोरें ले रहीं थीं, वो आखिरकार धोनी के हेलीकाप्टर शाट पर ख़त्म हो ही गयी। और टीम इंडिया ने इतिहास रच दिया।
जया हे! जया हे! जया हे!
जया जया जया जया हे!
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